Clay Pots (Matka) / मिट्टी के बर्तन (मटका) का पानी पीने के अद्भुत स्वास्थ्य लाभ

health benefits of drinking water from Clay Pots

Clay Pots (Matka) / मिट्टी के बर्तन (मटका) का पानी पीने के अद्भुत स्वास्थ्य लाभ

परिचय: परंपरा और विज्ञान का मेल – मिट्टी के बर्तन का महत्व
मिट्टी के बर्तन यानी Matka या Clay Pot का पानी पीना कोई नई बात नहीं है। भारत में यह सदियों पुरानी परंपरा रही है, जो सिर्फ एक रिवाज़ नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बहुत लाभकारी साबित होती है। पुराने समय में हर घर में एक विशेष कोना सिर्फ मटके या सुराही के लिए होता था। भले ही आज के आधुनिक युग में RO, फ्रिज और बोतलबंद पानी ने इन बर्तनों को पीछे छोड़ दिया हो, लेकिन इनकी उपयोगिता और स्वास्थ्य लाभ आज भी प्रासंगिक हैं।

आइए जानें विस्तार से कि क्यों मिट्टी के बर्तन का पानी पीना न केवल शरीर के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह एक स्मार्ट, सस्टेनेबल और नेचुरल चॉइस भी है।


1. प्राकृतिक ठंडक: रेफ्रिजरेटर से बेहतर विकल्प (Natural Cooling Without Electricity)

मिट्टी के बर्तन छिद्रपूर्ण (porous) होते हैं, जिससे इनमें भरा पानी वाष्पीकरण की प्रक्रिया से धीरे-धीरे ठंडा होता है। यह ठंडक न तो अचानक होती है और न ही शरीर के लिए झटका देने वाली, जैसा कि फ्रिज के ठंडे पानी से होता है।

फायदे:

  • गले के लिए सुरक्षित तापमान पर पानी मिलता है।
  • गर्मियों में शरीर को ठंडक देता है बिना साइड इफेक्ट्स के।
  • बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष रूप से लाभकारी।

विशेषज्ञ की राय:
पोषण विशेषज्ञ रूपाली दत्ता के अनुसार, “मिट्टी के बर्तन का पानी पीना, रेफ्रिजरेटर के बहुत ठंडे पानी की तुलना में स्वास्थ्य के लिए बेहतर है।”


2. क्षारीयता बढ़ाता है (Alkaline Water for Balanced pH)

मिट्टी का बर्तन पानी के pH स्तर को बढ़ाकर उसे थोड़ा क्षारीय बना देता है। आजकल खानपान और तनाव के कारण हमारे शरीर में अम्लीयता (acidity) बढ़ जाती है, जो कई बीमारियों की जड़ होती है।

फायदे:

  • शरीर के pH स्तर को संतुलित करता है।
  • सूजन, थकान और एसिड रिफ्लक्स जैसी समस्याओं को कम कर सकता है।
  • आंतरिक विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।

टिप:

  • नियमित रूप से मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर 6–8 घंटे तक रखने के बाद पिएं।

3. गले के लिए लाभकारी (Soothes Throat & Prevents Infections)

जिन्हें अक्सर खांसी-जुकाम होता है, उनके लिए यह पानी किसी औषधि से कम नहीं। फ्रिज का ठंडा पानी अक्सर गले में जलन और संक्रमण को बढ़ाता है, जबकि मिट्टी के बर्तन का पानी न तो ज्यादा ठंडा होता है और न ही गर्म।

फायदे:

  • गले को आराम देता है।
  • सर्दी-खांसी में राहत पहुंचाता है।
  • आवाज़ को बेहतर बनाए रखता है।

4. पाचन में सहायक (Improves Digestion)

आयुर्वेद के अनुसार, बहुत ठंडा पानी पीना पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है। यह पाचन अंगों की रक्त नलिकाओं को संकुचित करता है और एंजाइम्स के कार्य में बाधा डालता है। इसके विपरीत, मिट्टी के बर्तन का पानी पाचन के लिए बिल्कुल उपयुक्त तापमान पर होता है।

फायदे:

  • पाचन क्रिया को गति देता है।
  • पेट फूलना, गैस और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत देता है।
  • भोजन के बाद एक ग्लास मिट्टी के बर्तन का पानी लेना लाभकारी है।

5. मिनरल्स का प्राकृतिक स्रोत (Mineral Infusion)

मिट्टी के बर्तनों में मौजूद सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कि कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन धीरे-धीरे पानी में मिलते हैं, जिससे उसका पोषण मूल्य और भी बढ़ जाता है।

फायदे:

  • हड्डियों और दांतों की मजबूती।
  • रक्त संचार और मांसपेशियों के कार्य में सुधार।
  • एनिमिया जैसी समस्याओं से लड़ने में सहायता।

टिप:

  • सुनिश्चित करें कि मिट्टी शुद्ध हो और उसमें किसी तरह के रसायन या लेप न किया गया हो।

6. मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देता है (Boosts Metabolism)

शरीर के तापमान के करीब तापमान वाले पानी से पोषक तत्वों का अवशोषण अधिक प्रभावी होता है। ठंडा पानी मेटाबॉलिज्म को धीमा करता है, जबकि मिट्टी के बर्तन का पानी इसे उत्तेजित करता है।

फायदे:

  • वजन घटाने में मदद करता है।
  • शरीर की ऊर्जा को बढ़ाता है।
  • थकान कम करता है और मानसिक स्पष्टता बढ़ाता है।

7. स्वाद में श्रेष्ठ (Better Taste, Naturally)

मिट्टी के बर्तन का पानी एक प्राकृतिक, मिट्टी की हल्की खुशबू और स्वाद के साथ आता है जो कई लोगों को बेहद सुखद लगता है।

फायदे:

  • पानी पीने की इच्छा बढ़ती है, जिससे हाइड्रेशन बेहतर होता है।
  • प्लास्टिक और स्टील के बर्तनों में आने वाली गंध से राहत।
  • बच्चों को पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करता है।

8. पर्यावरण के लिए अनुकूल (Eco-Friendly & Sustainable Choice)

मिट्टी के बर्तन पूरी तरह से प्राकृतिक और बायोडिग्रेडेबल होते हैं। न प्लास्टिक की तरह कचरा फैलाते हैं, न ही बिजली की तरह संसाधन खपत करते हैं।

फायदे:

  • पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान।
  • प्लास्टिक के उपयोग में कमी।
  • ग्रामीण कुम्हारों को आर्थिक सहयोग।

9. मिट्टी के बर्तन की देखभाल (Care & Cleaning Tips)

  • हर हफ्ते बर्तन को धोकर धूप में सुखाएं।
  • ब्रश और गर्म पानी से सफाई करें, साबुन का इस्तेमाल कम करें।
  • हर 3–4 महीने में बर्तन बदलना बेहतर होता है।

10. कुछ ज़रूरी सावधानियाँ (Precautions & Considerations)

  • पक्की और लेपित मिट्टी के बर्तन न लें क्योंकि इनमें रसायन हो सकते हैं।
  • उपयोग से पहले बर्तन को अच्छी तरह धोकर कुछ घंटे पानी में भिगोकर रखें।
  • दूषित पानी न भरें; हमेशा साफ और फिल्टर्ड पानी का ही इस्तेमाल करें।

निष्कर्ष (Conclusion): प्रकृति से जुड़ें, स्वास्थ्य से भरपूर रहें

मिट्टी के बर्तन में पानी पीना न सिर्फ एक पारंपरिक अभ्यास है बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए वरदान है। आधुनिक विकल्पों की भीड़ में यह सरल, प्राकृतिक और सस्टेनेबल उपाय कई मायनों में श्रेष्ठ है। यह शरीर को ठंडक देता है, पाचन सुधारता है, इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है और हमारे पर्यावरण की रक्षा भी करता है।

आज जब हर चीज़ का प्राकृतिक विकल्प ढूंढ़ा जा रहा है, तो क्यों न हम फिर से मटका, सुराही या घड़ा जैसे मिट्टी के बर्तनों को अपनाएं और अपने स्वास्थ्य को दें एक प्राकृतिक तोहफा?


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1: क्या मिट्टी के बर्तन में रखा पानी उबालना ज़रूरी है?
यदि आप साफ और फिल्टर्ड पानी भरते हैं, तो उबालने की जरूरत नहीं होती।

Q2: मटका कितने समय में बदलना चाहिए?
हर 3–4 महीने में नया मिट्टी का बर्तन लेना बेहतर होता है, ताकि स्वास्थ्य लाभ बनाए रहें।

Q3: क्या मटका ठंड में भी उपयोग किया जा सकता है?
हाँ, सर्दियों में भी इसका पानी शरीर के लिए फायदेमंद रहता है क्योंकि यह कमरे के तापमान पर ठंडा रहता है।

Q4: क्या बच्चे भी मिट्टी के बर्तन का पानी पी सकते हैं?
बिल्कुल, यह उनके लिए पूरी तरह सुरक्षित है – बशर्ते पानी साफ हो।

Q5: क्या RO पानी को मटके में भरकर पी सकते हैं?
हाँ, यह और भी बेहतर होगा क्योंकि RO पानी में जो खनिज कम हो जाते हैं, उन्हें मटका प्राकृतिक रूप से थोड़ा भरपाई कर सकता है।

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